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भारत में अंगरेज़ी राज

६६ विजय भारत में अंगरेजी राज सींधिया के तोपखाने के करीब करीब समस्त अफसर यूरोपियन थे। इन लोगों ने सीधिया की भारी अंगरेजों की तो मय गोले बामद और सामान के ज्यों की त्यों अंगरेजों के हवाले कर दी। पैदल सेना में से भी कम से कम आठ पूरी पलटने पूर्वोक्त बयान के अनुसार शत्रु के साथ मिल गई थीं। शेष सेना भी विश्वासघातकों से छलनी छलनी थी। ऐसी सूरत में बाकी की पैदल सेना बिना सरदार और बिना सामान कब तक शत्रु का मुकाबला कर सकती। परिणाम यह हुआ कि शेष पैदल सेना में से अधिकांश मैदान छोड़ कर पीछे हट गई, और असाई का मैदान अंगरेजों के हाथ रहा। ____ नाना फड़नवीस के सलाह के विरुद्ध वारन हेस्टिंग्स के कहने में श्राकर यूरोपियनों को अपने यहाँ नौकर रखने में माधोजी सींधिया ने जो ज़बरदस्त भूल की थी उसका दण्ड श्राज दौलतराव सींधिया को भोगना पड़ा। सोंधिया की तोपों और उनके साथ के सामान की जनरल वेल्सली ने बड़े जोरों के साथ प्रशंसा की है। फिर भी सींधिया की पैदल सेना की संख्या पर श्रसाई के संग्राम का बहुत कम असर पड़ा। लड़ाई के अगले दिन २४ सितम्बर सन् १८०३ को जनरल वेल्सली ने करनल स्टीवेन्सन को श्राक्षा दी कि तुम परास्त मराठा सेना का पीछा करो। किन्तु इतिहास लेखक मिल लिखता है- "इस हार से शत्रु की व्यवस्था इतनी कम टूटने पाई थी, अर्थात् वे