पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२५४

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साम्राज्य विस्तार

साम्राज्य विस्तार ६६३ गोदावरी पार की। उधर सींधिया और बरार के राजा ने भी अहमदनगर के पतन का समाचार सुनते ही जितनी शीघ्रता से हो सका, थोड़ी बहुत तैयारी करके निज़ाम के इलाके की ओर चढ़ाई की। दौलतराव सींधिया को प्रायु उस समय केवल २३ वर्ष की थी, फिर भी जिस अपूर्व योग्यता के साथ इस थोड़े से समय में उसने अपने रहे सहे अनुयाइयों को जमा करके अंगरेज़ों के मुकाबले की तैयारी की उस योग्यता की उसके शत्रुओं ने भी मुक्तकण्ठ से प्रशंसा की है। जनरल वेल्सली के एक पत्र में लिखा है कि चेल्सली ने जगह जगह अपने गुप्तचर नियुक कर रक्खे थे जो भारतीयों में उसे मराठा सेनाओं की स्थिति, कूच इत्यादि राष्ट्रीयता की कमी की सूचना देते रहते थे। ये गुप्तचर सींधिया और भोसले ही की प्रजा थे और उन्हीं की मदद से सींधिया की सेना के अनेक लोगों को बेल्सली ने अपनी ओर मिला रक्खा था । अंगरेजों का इस सरलता के साथ अनेक भारतीयों को अपने देश और राजा के विरुद्ध विदेशियों की ओर मिला सकना प्रकट करता है कि भारतवासियों में उस समय भी देश और राष्ट्रीयता के भावों की भयङ्कर न्यूनता थी। इन गुप्तचरों के कारण वेल्सली के लिए अपनी सुविधा के अनुसार युद्ध का स्थान और समय नियत करना आसान होगया। २३ सितम्बर सन् १८०३ को निज़ाम को उत्तरी सरहद पर