६५४ भारत में अंगरेजी राज को गवरनर जनरल ने युद्ध का एलान किया, किन्तु उससे पहले ही जनरल वेल्सली अपनी सेना सहित अहमदनगर की ओर रवाना हो चुका था। उधर गवरनर जनरल इससे भी पहले से सींधिया के उन कर्मचारियों के साथ गुप्त पत्र व्यवहार कर रहा था, जो कि अहमदनगर के किले और नगर की रक्षा के लिए नियुक्त थे। ७ अगस्त को जनरल वेल्सली की सेना अहमदनगर के निकट पहुँच गई । पेशवा की सबसीडीयरी सेना उसके साथ थी ही। उसी दिन वेल्सली की ओर से एक एलान नगर में प्रकाशित किया गया, जिसके शुरू ही में यह साफ़ भूठ लिखा था- ___कि दौलतराव सींधिया और परार के राजा ने अंगरेज सरकार और राव पण्डित प्रधान (अर्थात् पेशवा ) और नवाब निज़ामअली तीनों को युद्ध की धमकी दी है x x x इत्यादि।" इस एलान में भागे चलकर वेल्सली ने नगरनिवासियों और आमिलदारों की ओर अपनी मित्रता दर्शाते हुए कम्पनी और पेशवा दोनों के नाम पर उन्हें आशा दी कि आप लोग नगर पेशवा की सेना (१) के सुपुर्द कर दें। दूसरी ओर से अभी तक महाराजा सींधिया की कोई विशेष सूचमा अथवा श्रोशा अहमदनगर के आमिलदारों के पास न पहुंची थी। नगरनिवासियों पर वेल्सली के इस एलान का यथेष्ट प्रभाव पड़ा। प्रजा ने अंगरेजों को अपना शत्रु नहीं, वरन् मित्र समझा। अगस्त को वेल्सली अहमदनगर पहुँचा, नगर तुरन्त अंगरेजों के हाथों में प्रोगया। किन्तु अहमद नगर के किले पर इतनी आसानी से अंगरेज़ों का कब्ज़ा न हो
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भारत में अंगरेज़ी राज