साजिशों का जाल ६४७ "सिक्ख सरवारों के साथ पत्र व्यवहार करने में मुनासिब होगा कि भाप उन्हें यह भी सुझा दें कि यदि उन्होंने अंगरेज सरकार का किसी तरह से विरोध किया तो पाइन्दा उन्हें कितना खतरा है, और इतनी बलवान सरकार के साथ सम्बन्ध रखने में उन्हें क्या लाभ हो सकते हैं।" पत्र के अन्त में गवरनर जनरल ने जनरल लेक को हिदायत की कि-'सिक्ख सरदारों के साथ पत्र व्यवहार करने में श्राप इस पत्र व्यवहार को गुप्त रखने का विचार रक्खे और पूरी सावधानी से काम लें।* सवीं सदी के अन्त और अठारवीं सदी के प्रारम्भ में सिक्खों की ताकत बिलकुल शुरू हो रही थी। उनका राजनैतिक महत्व और साम्राज्य सङ्गठन अभी बहुत कम सामने दिखाई देता था। • " The chhets from whose Influence or exertions the greatest benefit Is to be derived, are the Raja of Patiala, and those petty chieftaans who occupy the territory between Patiala and the Jumna I understand, how- ever, that Raja Ranjit Singh, the Raja of Lahore, is considered to be the principal among the chiefs of the tribe of Sikhs, and to possess considerable infuence over the whole body of the Sikh chrefs "I transmit to Your Excellency, for the purpose of being forwarded, at such time and in such manner as may appear to Your Excellency to be most proper, letters to those among the Sikh chiefs with whom the agent of the Resident with Daulat Rao Scindhha communicated (in the year 1800) "Adverting to the great distance of Lahore from the scene of intended operations, the only support to be expected from Raja Ranjit Singh, is the exertion of his influence with the other Sikh chieftains, to Induce them to favour the case of the Bntish Government.
पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२३८
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
६४७
साजिशों का जाल