६४२ भारत में अंगरेज़ी राज २८ जुलाई सन् १८०३ को एक 'सरकारी और गुप्त' पत्र में माधिस बेल्सली ने जनरल लेक को मेरठ के सींधिया के सामन्तो निकट सरधने की प्रसिद्ध जेबुन्निसा बेगम को के साथ साजिशें अपनी ओर फोड़ने की हिदायत की । जेबुन्निसा वेगम जो बेगम समरू के नाम से प्रसिद्ध है सींधिया की एक सामन्त थी। उसने सरधने के बाल पास एक ख़ासी जागीर बना ली थी। माविस वेल्सली ने जनरल लेक को लिखा- ____xxxबेगम की जागीर ऐसे मौके पर है कि अच्छा यह होगा कि अंगरेज सरकार की भोर से बेगम के साथ जो कुछ बाद और प्रतिज्ञाएँ की जाय उनमें ऐसी शर्ते राज दी जाय जिनसे उसकी जागीर भर के अन्दर कम्पनी के कायदे कानून भासानी से जारी किए जा सकें। मेरी प्रार्थना है कि बेगम के साथ पत्र व्यवहार करने में भाप इस खष की ओर ध्यान रखिएगाxxx "x x x बेगम से कहा जाय कि दौलतराव सींधिया की सेना में इस समय बेगम की जो चार पलटनें हैं, उन्हें वह वापस बुला ले और दोभाव के समींदारों और सरदारों पर जितना कुछ उसका प्रभाव है, उससे उन पर जोर दे कि वे सब अपने पापको अंगरेज सरकार के अधीन कर दें और अंगरेजी सेना को हर तरह मदद देने में अपनी शक्ति लगा दें।" record? . In my judgment, a gross breach of faith has been committed in this case of the Mogul, . . ."-Sullivan, at the East India House, 18th December, 1848 • " . . the local situation of the Begam's Jageer renders it desirable that in any engagement concluded with her on the part of the
पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२३३
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
६४२
भारत में अंगरेज़ी राज