पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२२५

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भारत में अंगरेज़ी राज

६३६ भारत में अंगरेजी राज डर था कि ऐन मौके पर अमीर खाँ उसे दगा देता । इस समय से हीधनक्रीत अमीर खाँ ने अंगरेजों का इतना पक्का साथ दिया कि इन संवाओं के बदले में सन् १८१८ में उसे टोंक का नवाब बना दिया गया । टोंक के वर्तमान नवाब अमीर खाँ के ही वंशज हैं। जसवन्तराव होलकर को इस प्रकार निकम्मा कर देने के अतिरिक्त दौलतराव सोंधिया के राज के अन्दर सींधिया के विरुद्ध भी दौलतराव के विरुद्ध अंगरेजों की गुप्त अन्य षड्यन्त्र साजिशें लगभग पाँच वर्ष से जारी थीं । २८ जून सन् १८०३ को मार्किस वेल्सली ने जनरल लेक को एक लम्बा पत्र लिखा, जिसके ऊपर "अत्यन्त गुप्त और गूढ़"* ये शब्द लिखे हुए हैं और जिनमें इस तरह की साजिशों के लिए लेक को विस्तृत हिदायत दी गई हैं। वास्तव में इस तरह की साजिशों पर ही भारत के अन्दर ब्रिटिश सत्ता की बुनियाद रक्खी गई हैं। जनरल लेक को इस काम में मदद देने के लिए ग्रोम मरसर नामक एक अभ्यस्त कूटनीतिज्ञ उसका सहायक नियुक्त करके भेजा गया। २२ जुलाई सन् १८०३ को गवनर जनरल की ओर से उसके संक्रेटरी एडमॉन्सटन ने ग्रोम मरसर को एक "अत्यन्त गुप्त" पत्र लिखा, जिसमें मरसर को महाराजा सींधिया के मुख्य मुख्य कर्मचारियों सरदारों और सामन्तों के साथ साजिशें करके उन्हें अपनी ओर फोड़ने की हिदायत की गई । मरसर को श्राज्ञा दी गई कि तुम उन लोगों से यह वादा कर लो कि:- "Most Secret and Confidential '