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तेईसवाँ अध्याय साज़िशों का जाल जिस समय से अंगरेज़ों ने मराठों के साथ दोबारा युद्ध छेड़ने का निश्चय किया, उस समय से ही वेल्सली मराठा नरेशों की और उसके साथियों के सामने सबसे मुख्य परिस्थिति कार्य गुप्त षड्यन्त्रों द्वारा मराठों के बल को तोड़ना था। पेशवा अपनी राजधानी के ही अन्दर अंगरेजी सेना का कैदी था और जब तक सींधिया या कोई दूसरा नरेश बाहर से सेना लेकर पूना न पहुँचता, तब तक पेशवा के लिए अंगरेजों के विरुद्ध हाथ पाँव हिला सकना असम्भव था। महाराजा सौंधिया और राजा राघोजी भोसले दोनों के साथ युद्ध अनिवार्य नजर आता