पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२१

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भारत में अंगरेज़ी राज पन्द्रवाँ अध्याय टीपू सुलतान पिछले अध्यायों में टीपू सुलतान के जन्म, बाप की मृत्यु के बाद उसकी मसनद नशीनी और मैसूर के पहले का दोनों युद्धों में अंगरेजों के साथ उसकी लड़ाइयों सन्धि के बाद ' का ज़िक पा चुका है । सन् १७६२ में अंगरेजों, निजाम और मराठों ने मिल कर टीपू पर हमला किया और उसका भाषा राज छीन कर आपस में बाँट लिया। इन चारों शक्तियों के बीच उस समय मित्रता की सन्धि हो चुकी थी। टीपू पर तीन करोड़ से ऊपर युद्ध का दर लगाया गया, जिसमें से एक करोड़ उसी समय वसूल कर लिया गया, बाक़ी की अदायगी के लिए