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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजी राज कॉखिन्स का पत्र करनल कॉलिन्स ने महाराजा सींधिया से मुलाकात की। तीन घण्टे बात चीत होती रही, जिसका हाल कॉलिन्स ने २६ मई सन् १८०३ को एक लम्बे पत्र में गवरनर जनरल को लिख कर भेजा। इस पत्र में लिखा है कि-महाराजा सींधिया ने कॉलिन्स के _ प्रश्न के उत्तर में उसे विश्वास दिलाया कि

  • महाराजा का कोई इरादा पेशवा या निजाम

किसी के राज पर हमला करने का नहीं है। कॉलिन्स ने इस पर सन्तोष प्रकट किया और फिर पूछा कि महाराजा सींधिया, बरार के राजा और होलकर के बीच जो पत्र व्यवहार हो रहा है उसका उद्देश किसी तरह से बसई की सन्धि की काररवाई में कोई बाधा डालना तो नहीं है ? महाराजा सींधिया ने इस पर कॉलिन्स को स्पष्ट उत्तर दिया कि बिना बरार के राजा से बातचीत हुए इस विषय में कोई बात नहीं कही जा सकती। कॉलिन्स ने फिर बार बार जोर देकर और डर दिखा कर इस सम्बन्ध में महाराजा सींधिया की अन्तिम राय जानना चाहा । महाराजा सींधिया ने फिर उत्तर दिया कि राजा राघोजी से बिना बातचीत किए मेरा कुछ कहना उनके साथ दगा करना होगा, राजा राघोजी इस समय इस स्थान से केवल पचास कोस की दूरी पर हैं और दो चार दिन के अन्दर हो मेरो और उनकी मुलाकात होने वाली है और उस मुलाकात के बाद फ़ौरन ही तुन्हें ( करनल कॉलिन्स को) बता दिया जायगा कि इन सब बातों का “निबटारा शान्ति से हो सकेगा या युद्ध से।"