पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१९८

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
६०९
दूसरे मराठा युद्ध का प्रारम्भ

दूसरे मराठा युद्ध का प्रारम्भ ६०६ लिए कम्पनी की समद्ध सेनाएँ जगह जगह चारों ओर सरहद पर जमा कर रहे थे और मार्किस वेल्लली के शब्दों में केवल अपनी तैयारी के पूरा होने तथा मौसम के इन्तज़ार में थे। चार दिन बाद ३ जून सन् १८०३ को वेल्सली ने कलकत्ते से कॉलिन्स को यह स्पष्ट प्राज्ञा दी- सींधिया को यह बता देना मुनासिब है कि सिवाय उस हालत के जब कि पेशवा ने साफ शब्दों में इजाज़त दे दी हो और ब्रिटिश सरकार ने उसे मंजूर कर लिया हो यदि दूसरी किसी हालत में किसी भी बहाने से सींधिया पूना बायगा तो अवश्यमेव उसे ब्रिटिश सत्ता के साथ खड़ना पड जायगा।" बरार का राजा भी पेशवा के निमन्त्रण पर पूना जा रहा था। . इसलिए जिस तरह का पत्र सोंधिया को लिखा का गया उसी तरह का पत्र वेल्सली ने बरार के धमकी " राजा को लिखा, और उसे यह भी साफ धमकी दी कि यदि आप पूना की ओर रुख करेंगे तो आपके राज्य पर हमला किया जाना सम्भव है। हमें याद रखना चाहिए कि अंगरेज़ स्वयं सींधिया, भोसले और पेशवा तीनों को अभी तक अपना 'मित्र' कहते थे और इन तीनों में से किसी की ओर से कोई काररवाई अभी तक इस 'मित्रता' के विरुद्ध न हुई थी। उन्हें पूना आने से रोकने का कोई बहाना भी होना चाहिए था। इसलिए सोंधिया पर अब एक नया और अनोखा इलज़ाम यह लगाया गया कि तुम पेशवा और निजाम के राज्यों पर हमला करने और उन्हें लूटने का विचार कर रहे हो । २८ मई सन् १८०३ को ___३६