पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१६९

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पेशवा को फांसने के प्रयत्न

पेशवा को फांसने के प्रयत्न जो खास तौर पर इस काम के लिए भेजा गया था, १६ दिसम्बर सन् १८०२ को वसई पहुँच गया। २४ दिसम्बर सन् १८०२ को वेल्सली ने कम्पनी के डाइरेक्टरों के नाम एक पत्र में लिखा:- ___“मराठा साम्राज्य के अन्दर हाल में जो झगड़े खड़े हो गए है उनसे एक ऐसी परिस्थिति पैदा हो गई है जो ब्रिटिश सत्ता के स्थायित्व के लिए अत्यन्त महत्व की है। xxx मालूम होता है कि देश के इस भाग में अंगरेज कौम के हितों को ठोस और चिरस्थायी नींवों पर उमति देने का इस संयोग से बढ़कर अत्यन्त लाभदायक अवसर पहले कभी न पाया था।" और आगे चलकर :- "ब्रिटिश साम्राज्य के हितों को पूरी तरह पका कर लेने का इससे बढ़कर मौका मुझे कोई नज़र न पा सकता था।xxx"* अंगरेज़ अब इस सफाई के साथ जसवन्तराव होलकर और होलकर का पेशवा बाजीराव दोनों को एक साथ खिला रहे अमृतराव को थे कि एक ओर वे बाजीराव को अपने साथ पेशवा बनाना भगा कर बसई ले गए और दूसरी ओर • "The recent distractions in the Maratha Empire have occasioned a combination of the utmost importance to the stability ot the Brntush Power a conjuncture of affairs which appeared to present the utteuost advantageous opportunity that has ever occured, of improving the British Interests in that quarter on solid and durablu foundations "This crisis of affairs appeared to me to aflord the most favourable opportunity for the complete establishment of the interests of the British Empire, "-Lord Wellesly to the Court of Directors, dated 24th December,1802