पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१६१

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पेशवा को फांसने के प्रयत्न

पेशवा को फांसने के प्रयल सुरक्षित समझने लगता है तो फिर उसकी सावधानी और जागरुकता में ढीलापन भाने लगता है। जिस तरह की सन्धि का प्रस्ताव किया जा रहा है, उसका एक परिणाम यह भी होगा कि पूना का दरबार मराठा साम्राज्य के दूसरे सदस्यों से फूट जायगा, जिससे ब्रिटिश सत्ता के उपर पेशवा की पराधीनता और भी अधिक वेग के साथ बढ़ती जायगी।" और आगे चलकर इस पत्र में लिखा है- "यदि हमने पेशवा के साथ इस तरह की सन्धि कर ली तो फिर समस्त मराठा राज्यों के मापस में मिल जाने की सम्भावना जाती रहेगी, xxx मराठा साम्राज्य की किसी एक शाखा के साथ इस तरह का पृथक सम्बन्ध कायम कर लेने से न केवल हमारी स्थिति ही अधिक मजबूत हो जायगी, बल्कि इससे धीरे धीरे एक ऐसी विकट परिस्थिति पैदा हो जायगी जिससे मजबूर होकर उस साम्राज्य के अन्तर्गत दूसरे राज्यों को भी हमारे साथ इसी तरह की सन्धि स्वीकार करनी पड़ेगी।"* • " The measure of subsidizing a British torce, even under the limita- tions which the Peshwa has annexed to that proposal, must immediately place him in some degree in a state of dependence upon the British Power, . Thedependence of a state of any degree upon the power of another naturally tends to increase A sense of security derived from the support of a foreign power, produces a relaxation of vigilance and caution, Augmenting the dependence of the Peshwa on the British Power under the operation of the proposed engagements, would be accelerated by the effect which those engagements would produce of detaching the state of Poona from the other members of the Maratha Empire" " The conclusion of such engagements with the Peshwa would preclude the practicability of general confederacy among the Maratha states This separate connection with one of the Branches of the Maratha Empire would not only contribute to our security, but would tend to produce