५६४ भारत में अंगरेजी राज पेशवा के अनेक दक्षिणी जागीरदारों ने पेशवा के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह का झण्डा खड़ा कर दिया। टीपू से युद्ध छेड़ते समय वेल्सली ने टीपू के सामन्तों और सरदारों को अपनी ओर मिलाने के लिए पाँच अंगरेजों का एक कमीशन नियुक्त किया था। श्रीरङ्गपट्टन के पतन के बाद इन पांच में से तीन अर्थात् करनल आरथर वेल्सली, करनल बेरी क्लोज और कप्तान मैलकम का एक नया कमीशन नियुक्त हुश्रा, जिसका जाहिरा उद्देश था मैसूर राज्य का नया बन्दोबस्त करना, किन्तु जिसका असली काम था टीपू के रहे सहे अनुयायियों को डराकर अथवा लोभ देकर वश में करना । मैसूर की सरहद पेशवा राज्य की दक्षिणी सरहद से मिली हुई थी और मराठों की ओर वेल्सली के प्रकट इरादों को देखते हुए कोई आश्चर्य नहीं यदि पेशवा के दक्षिणी जागीरदारों के अचानक विद्रोह में, जो ठीक उस समय हुआ जिस समय कि यह कमीशन सरहद पर अपना काम कर रहा था, इस कमीशन का हाथ रहा हो। नाना फड़नवीस को अंगरेजों पर अथवा निजाम पर हमला .. करने से पहले अपने दक्षिणी इलाके की ओर माना की मृत्यु ' भ्यान देना पड़ा। परशुराम भाऊ की सेना इन विद्रोही जागीरदारों को परास्त करने के लिए भेजी गई । किन्तु अभी दक्षिण के थे विद्रोह पूरी तरह शान्त भी न हो पाए थे कि १३ फ़रवरी सन् १८०० ई० को नाना फड़नवीस की मृत्यु हो गई । पूना दरबार में नाना फड़नवीस ही एक जागरूक और दूरदर्शी
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भारत में अंगरेज़ी राज