के प्रयत्न ५५० भारत में अंगरेजी राज वास्तव में टीपू बरार के राजा या अंगरेजों दोनों में से किसी पर भी हमला करने वाला न था, और न दौलत रुड गव सींधिया उस समय तक किसी तरह का भोसले को फोड़ने - इरादा अंगरेज़ों के विरुद्ध कर रहा था । हमें स्मरण रखना चाहिए कि 'वजीरअली के पत्रों, की गप्प भी इसके बाद की गढ़ी हुई थी। किन्तु अंगरेज़ टीपू और दौलतराव दोनों के नाश का इरादा कर चुके थे । वेल्सली यह भी जानता था कि नागपुर के राजा भोसले को खुले तौर पर निर्दोष दौलतराव के विरुद्ध फोड़ सकना इतना आसान नहीं है । ऊपर से अभी तक दौलतराव के साथ भो वेल्सली मित्रता दर्शा रहा था। इसलिए वह इस धोखे से दौलतराव के विरुद्ध दूसरों की सहायता को पक्का कर लेना चाहता था। ३ मार्च सन् १७६४ को वेल्सलो ने एक "प्राइवेट" पत्र हैदराबाद -
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Scindhra Even the preliminary measures for ascertaining the disposition of the Raja of Berar on this subject, must be taken with the greatest caution The object of our apprehension should appear to be Tippu Sultan , and although ' any other enemy of the contracting powers ' may be named in general terms, no suggestion should yet be given by which the name ot Scindhra could be brought into question " A treaty Might, therefore, be proposed to the Raja, the immediate and ostensible object of which should be to strengthen and define Ims defen- sive engagements against Tippu Sultan but the terms of which should be such as to admit the insertion of Scindhia's name, if such a measure should become necessary previously to the conclusion of the treaty "-Governor General's letter to Colebrooke enclosed in the Governor General's letter to Captain Kurkpatrick, dated 3rd March, 1799