पेशवा को फांसी के प्रपन अधिकारी था। जसवन्तराब और विडूजी ने मखहरराव का पक्ष लिया। दौलतराव सींधिया ने काशीराव को सहायता दी । अन्त में सींधिया की सेना की सहायता से मलहरराव मारा गया, काशीराव गद्दी पर बैठा, जसवन्तराव भाग कर नागपुर चला गया और विहूजी कोल्हापुर गया । इस प्रकार होलकर कुल के ऊपर दौलतराव सींधिया का प्रभाव जम गया। दौलतराव सींधिया योग्य, वीर और समझदार था । उसके पितामह माधोजी सोंधिया के साथ अंगरेजों ने दौलतराव के मराठा जो विश्वासघात किया था उससे वह अच्छी. सत्ता को मज़बूत करने के प्रयन ___ तरह परिचित था। वह यह भी समझता था कि इस सङ्कट के समय में नाना फड़नवीस की सेवाएँ मराठा मण्डल के अस्तित्व के लिए कितनी मूल्यवान हो सकती है, और अकेले बाजीराध के हाथों में मराठा साम्राज्य की बाग रहने से इस साम्राज्य को कितना खतरा है। नाना फड़नवीस और दौलतराव सीधिया में पत्र व्यवहार हुआ। और सबसे पहला काम दौलतराव ने यह किया कि पूना पहुँच कर माना फड़नवीस को कैद से निकाल कर उसे फिर से पेशवा का प्रधान मन्त्री बनवाया। माना और दौलतराध में अब मित्रता बढ़ने लगी, बाजीराव भी इन्हीं के कहने में था, और मराठा साम्राज्य की नीति का सञ्चालन इन्हीं दोनों योग्य व्यक्तियों के हाथों में श्रा गया। ____टीपू और अंगरेजो के पहले युद्ध में अंगरेज़ो की विजय का मुख्य कारण मराठों की सहायता थी। मद्रास पथरमेण्ट के सेक्रेटरी
पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१२८
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
५४१
पेशवा को फांसने के प्रयत्न