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उन्नीसवाँ अध्याय सूरत की नवाबी का खात्मा हिन्दोस्तान में अंगरेजों की सब से पहली कोठीसूरत में कायम हुई । पादरी ऐण्डरसन ने अपनी पुस्तक "दी सूरत में अंगरेजों इंगलिश इन वेस्टर्न इण्डिया" में विस्तार के की पहली कोठी साथ बयान किया है कि किस प्रकार प्रारम्भ के दिनों में अंगरेज़ व्यापारी सूरत निवासियों को छलते और उन्हें धोखा देकर लूटते थे। सूरत पर उन दिनों एक मुसलमान नवाब का शासन था, जो दिल्ली सम्राट के मातहत था। अंगरेजों का सूरन के नवाब के राजनैतिक प्रभाव वहाँ सन् १७५६ से शुरू हुआ, साथ पहली जब कि नवाब से कुछ झगड़ा हो जाने के कारण उन्होंने सूरत के किले पर हमला कर दिया। स्टैवौरिनस नामक डच यात्री लिखता है कि अंगरेजो ने किले के एक हिन्दोस्तानी अफमर को इस बात का प्रबन्ध करने के लिए रिशवत दी कि जब अंगरेज़ किले पर हमला करें तो दूसरी ओर सन्धि