पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१११

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भारत में अंगरेज़ी राज

५२४ भारत में प्रेमरेजी राज मरने के बाद मुमकिन है कि उसके उत्तराधिकारी के साथ इस तरह की सन्धि आसानी से की जा सके, (वयतें कि इस नवाब के बाद भी यह मुनासिब समझा जावे कि कम्पनी के अलावा करनाटक का नाम मात्र का नरेश कोई दूसरा बना रहे )।xxx मौजूदा नवाब के मरने पर उत्तरा- धिकारी नियुक्त करने का सारा सवाल पूरी तरह कम्पनी के फैसले के लिए खुला होगा। मेरी इस समय राय यह है कि सबसे मुनासिब यह होगा कि उस शन्स को, जो नवाब उमदतुल उमरा का बेटा माना जाता है, मसनद पर बैठा दिया जावे, और उसके साथ उसी तरह की सन्धि कर ली जावे जिस तरह की हाल में तोर के राजा के साथ की गई है। तो भी मुनासिब है कि भाप फौरन यह भी सोच रक्खें कि क्या यह अधिक पका प्रबन्ध न होगा कि हम वालाजाह और उमदतुल उमरा के वंश की हर शास्त्र के लिए गुजारे का काफ्री प्रबन्ध कर दें और नाम तथा काम दोनों को रष्टि से करनाटक देश का राजा कम्पनी ही को बना लें।" किन्तु संसार को दिखाने के लिए भी कोई बहाना लेना ज़रूरी था। इसलिए वेल्सली ने इस पत्र में लिखा- "श्रीरंगपट्टन पर कब्जा करने के बाद परलोकवासी टीपू सुलतान के जो पत्र प्रादि हमारे हाथ पाए हैं, उनसे मुझे अत्यन्त प्रामाणिक और प्रकाव्य शहादत इस बात को मिल गई है कि पिछले नवाब वालाजाह ने अपने जीवन के अन्त के दिनों में मौजूदा नवाब उमदतुन उमरा टीपू सुखतान के साथ इस तरह का गुप्त पत्र व्यवहार शुरू किया था, जिससे ब्रिटिश सत्ता की ओर उनकी गहरी शत्रता साबित होती है।" • "I am thoroughly convinced, that no efectual remedy can ever bo