पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/११०

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करनाटक की नवाबी का अन्त

करनाटक की नवाबी का अन्त ५२३ गया कि इस असे करनाटक पर कब्ज़ा करना असम्भव है। उसने नवाब के इस पत्र का उत्सर तकम दिया। उधर इंगलिस्तान के शासक भी करनाटक की स्वाधीनता का खात्मा करने के लिए अधीर हो रहे थे। २१ मार्च सन् १७६६ को भारत मन्त्री डण्डास का इंगलिस्तान से भादेश ' ने वेल्सली के नाम एक पत्र लिखा, जो ५ अगस्त सन् १७६६ को कलकत्ते पहुँचा। इस पत्र में डण्डास ने वेल्सली को लिखा कि-'करनाटक के नवाब के साथ हमारी जो सन्धियाँ हो चुकी हैं उनसे इस समय हम मजबूर हैं, फिर भी श्राप मुनासिब मौको की ताक में रहिये और नवाब को खुश करने इत्यादि के ऐसे उपाय काम में लाइये जिनसे हमारी दिली इच्छा पूरी होने की अधिक सम्भावना हो।" इस पत्र के उत्तर में वेल्सली ने लिख भेजा कि-"मौजूदा नवाब के जीते जी इस तरह के मौके की आशा हो की तजवीज करना बिल्कुल व्यर्थ है। आगे चलकर इसी और नवाब पर ___ पत्र में वेल्सली ने लिखा- मूठे इलज़ाम __“मुझे पूरा विश्वास है कि उस देश की मुसीबतों का कभी कोई पक्का इलाज नहीं हो सकता, जब तक कि हम नवाब से कम से कम उसी तरह के विस्तृत अधिकार प्राप्त न कर लें जिस तरह के कि कम्पनी को हाल में समोर को सन्धि द्वारा प्राप्त हुए हैं। मौजूदा नवाब के • Right Honorable Henry Dundas to Earl of Mornington, 21st March, 1799