पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१०७

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भारत में अंगरेज़ी राज

५२० भारत में अंगरेजी राज लिए अलग कर दी गई थी, अपने कुछ कर्जदारों के पास रहन रण दिए हैं, आपकी आर्थिक हालत खराब है, और भविष्य में कम्पनी की रकम की अदायगी में कठिनाई की सम्भावना है। इसी पत्र में वेल्सली ने स्वीकार किया कि उमदतुल उमरा हर महीने ठीक समय कम्पनी की रकम अदा करता रहता था। फिर भी इस भावी 'कठिनाई की सम्भावना' की बिना पर नवाब को यह सलाह दी गई कि आप कम से कम उस समय तक के लिए, जिस समय तक कि कम्पनी और टीपू में युद्ध रहे, अपनी सल्तनत और उसकी मालगुज़ारी का इन्तज़ाम कम्पनी के सुपुर्द कर दीजिये। ___ नवाब मोहम्मदअली ने हैदरअली और टीपू के साथ अंगरेज़ों के युद्धों में सदा अंगरेजों का साथ दिया था। सन् १७६२ के मैसूर युद्ध के बाद की किसी सन्धि में कहीं एक वाक्य यह भी रख लिया गया था कि भविष्य में यदि करनाटक या उसके पास पास कोई युद्ध होगा तो कम्पनी को उस युद्ध की सफलता के लिए इस बात का अधिकार होगा कि वह करनाटक के जितने भाग पर आवश्यक समझे, थोड़े समय के लिए कब्ज़ा करले। नवाब मोहम्मदअली के उस सन्धि पर दस्तखत न थे। बल्कि वेल्सली ने अपने पत्र में साफ लिखा है कि मोहम्मदअली और उसका बेटा उमदतुल उमरा दोनों इस शर्त के खिलाफ़ थे । फिर भी अपनी इस समय की मांग को जायज़ साबित करने के लिए वेल्सली ने अपने पत्र में अब उस शर्त का हवाला दिया। नवाब उमदतुल उमरा समझ गया कि वेल्सली इस बहाने