पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१०५

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अठारवाँ अध्याय करनाटक की नवाबी का अन्त पिछले अभ्यायों में करनाटक के नवाब के साथ ईस्ट इण्डिया कम्पनी के व्यवहार का ज़िक्र किया जा चुका है, करनाटक को नवाबी और यह दिखलाया जा चुका है कि किस तरह और अंगरेज छोटे से बड़े तक कम्पनी के सब अंगरेज ज़बरदस्ती करनाटक के नवाब से आए दिन मनमानी रकम वसूल करते रहते थे, किस तरह वे नवाब को मदद देकर उसके जरिए आस पास की रियासतों को लुटवाते रहते थे, और किस तरह अनेक अंगरेज़ व्यापारियों ने नवाब को अपने भयङ्कर कजों के नीचे दखा रक्खा था, जिनमें से अधिकतर कर्ज झूठे थे। जब करनाटक से काफी धन खींचा जा चुका और नवाब का खजाना खाली हो गया तो मार्किस वेल्सली ने अपनी निश्चित नीति के अनुसार रियासत पर कब्जा कर लेने की तजवीजे शुरू की।