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भारत में अंगरेज़ी राज

१९८४। भारत में अंगरेजी राज सोमनाथ मन्दिर के फाटक के दो सुन्दर जड़ाऊ किंवाड़ उखड़वा कर अपने साथ ग़ज़नी ले गया था। इन किवाड़ों सोमनाथ का की वे चित्रकारी इतनो खुन्दर थी कि बाद में मह फोटक और युद्ध काला मूद के मकबरे पर लगा दिए गए । लॉर्ड एलेनg ने हुक्म दिया कि ये प्राचीन किवाड़ ग़ज़नी से भारतवर्ष लाकर एक शानदार जुलूस के साथ समस्त हिन्दोस्तान में किराए जाएँऔर अन्त में सोमनाथ के मन्दिर में पहुँच कर अपनी प्राचीन जगह पर फिर से कायम कर दिए जाऐं । पतनख़ की आशा पालन की गई । सोमनाथ के किवाड़ अफ़ग़ानिस्तान से भारत लाए गए। पश्चाव में इन किवाड़ों का शानदार जुलूस निकाला गया। लॉर्ड एलेनषु ने १६ नवम्बर सन् १८४२ को भारत के समस्त हिन्दू सरदारोंराजा, महाराजाओं और समस्त हिन्दू प्रज्ञा के नाम एक विचित्र पलाम प्रकाशित किया, जिसमें अंगरेज़ सरकार को हिन्दुओं और हिन्दू धर्म का विशेप समर्थक बतलाया श्रर उन्हें यह सूचना दी कि सोमनाथ के किवाड़ फिर से उसी मन्दिर में लाकर लगा दिए जाएँगे। फिर भी जो किबाड़ अफ़ग़ानिस्तान से आए थे, वे आगरे से आगे न बढ़ सके। इसका कारण यह था कि उस समय के अंगरे शासको में दो विचारों के लोग मौजूद थे। एक वे जो लॉर्ड एलेनषु के समान मुसलमानों की परवा न करके हिन्दुओं को अपनी ओर मिलाप रखने के पक्ष में थे । दूसरे वे जो मुसलमानों को इस प्रकार नाराज है।