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भारत में अंगरेज़ी राज

११७४ भारत में अंगरेजी राज में न श्र, धन खर्च करके उन सब की गुप्त हत्याओं का प्रबन्ध करना । अंगरेज अफसर लेफ्टेनेण्ट जॉन कोनोली ने ५ सवम्बर सन् १८४१ को बालाहिसार के किले से मोहनलाल के नाम निम्न लिखित पत्र लिखा “क्राज़िलया सरदारों, शीरीनल, नायबशरीफ, और शिया साहब के तमाम सरदारों से कहो कि विद्रोहियों के विरुद्ध हमसे मिल जायें । ख़ान शीन को श्राष एक लाख रुपए देने का वादा कर सकते , इस शर्त हैं पर कि वह बिन्नोहियों को मार डाले या गिरफ्तार कर ले; और सब शियाओं को हथियार देकर उन्हें लेकर फ़ौरन् तमाम विद्रोहियों पर हमला करे । शियाओं के लिए बैरक़ाही दिखाने का यही वक्त है । जो सरदार हमारी तरफ़ शुके हुए हैं उनसे कहिए कि वे (अंगरेज़) एलची के पास अपनी ओर से बाइकृत एजएट भेज दें। कोशिश कीजिए और विद्रोहियों के अन्दर ‘निफ़ाक्र’ (ट) फैला दीजिए । आप जो कुछ करें, मुझसे सलाह कर लें और मुझे अक्सर लिखते रहें। मुख्य मुख्य विद्रोही सरदारों में से हर एक के सिर के लिए मैं दस दस हज़ार रुपए देने का वादा करता हूँ ’। थे

  • " Tell the Kuzzil Bash chiefs, Sherreen KhanNayah Sherift, in fact,

all the chiefs of Shiyan persubsion, to join against the rebels, You can promise one lakh of rupees to Khan Shereen on the condition of his killing and sciaing the rches and Arming all the Shiyas, and immediately attacking all rebels, This is the time for the Shiyas to do good service, Tell the chiels who are well disposedto send respectable agents to the Envoy Try and spread " Nifak " among the rebels, in everything that you do consult me, and write very often,