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भारत में अंगरेज़ी राज

१७०० भारत में अंगरेज़ी राज महीने पहले तक की तनख़ाई और तमाम खच भारत से लिया जाता था। भारतीय सेना के नए स३ठन द्वारा अंगरेजी सेना की है । संख्या बढ़ा दी गई, भारत से अंगरेजों को आमदनी बढ़ गई, देशी सिपाहियों की अवस्था और अधिक होन होगई, भारत के शासन का आार्थिक भार बढ़ गया और देश की टझलाएं और अधिक मज़बूत होगई। सन् १८१३ में सर जॉन मैलकम ने, जो उन विशेष अनुभवी नीतिश में से था, जिन्होंने १६ वीं शताब्दी के ८-भेदनीति प्रारम्भ में भारत के अन्दर अंगरेजी साम्राज्य को विस्तार दिया, पार्लिमेरठ की तहक़ीक़ाती कमेटी के सामने गवाही देते हुए कहा था ‘इस समय हमारा साम्राज्य इतनी दूर तक फैला हुआ है कि जो असाधारण वन की हुकूमत हमने उस देश में कायम की है उसके बने रहने के लिए केवल एक बात का हमें सहारा है, वह यह कि जो बड़ी बड़ी जातियाँ इस समय अंगरेज़ सरकार के अधीन हैं वे सब एक दूसरे से अलग अलग हैं, और जातियों में भी फिर ग्रनेक जातियों और उपजातियां हैं, जब तक ये ? लोग इस तरह एक दूसरे से बटे रहेंगेतब तक इस बात का डर नहीं है कि कोई भी बलवा हमारी सत्ता को हिला सके । • 'In the present extended state of our Empire, our security for preserving a power of so extraordinary a nature as that we have established, rests upon the general division of the great commentties under the Goverm- ment, and their subdivision into various castes and tribes , hile they continue divided in this manmer, no insurection is likely to shake the