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भारत में अंगरेज़ी राज

१६७४ भारत में अंगरेजी राज शामिल हो जाती तो इस दुर्घटना का श्रात्रीि नतीजा शायद कितना अवतलिफ़न होता ।'s इस्ली दरखास्त में कम्पनी के डाइरेक्टरों ने लिखा कि जिस उसूल का इस समय इनलिस्तान में बड़े जोरों के साथ प्रचार किया जा रहा है वह यह है कि हिन्दोस्ताने पर हुकूमत करने में हमें खास। नर इसी बात पर रखनी चाहिए कि जो अंगरे वहां रहते हैं, उन्हें किसी तरह फ़ायदा हो ! डाइरेक्टरों ने इस दरखास्त में पार्लीिमेण्ट को तफ़सील के साथ यह भी सलाह दी कि भारत के भावी शासन में किम किन बातों के ख़ास ख़्याल रखने की ज़रूरत है । किन्तु ग्रंगरेज फौम की बढ़ती हुई माँग को अब पूरा न करना असम्भव था। कम्पनी की प्रार्थना अब स्वीकार न हो सकती थी। भारतवासियों के दिलों को भी किसी नए और गहरे परिवर्तन द्वारा अपनी ओर करने की ज़रूरत थी। सन् १८५ में ही भारत के अन्दर ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शासन का खात्मा कर दिया .. गया। भारत में अंगरेजी राज के शासन की बाग इफ़लिस्तान को पार्लिमेण्ट ने स्वयं अपने हाथो में ले ली । हाउस ऑफ कॉमन्स ने • " . . . how very diferent twould probably have been the issue ot late events, if the Native princes instead of aiding in suppressing the Gebcllion, had put themselves at its heador it the general population had ०ined in the revolt: "-East India Companys petition to Parliament, 1858 + " The doctrine now widely promulgated that India should be administered with an special view to the benefit of the English who reside here. "-Ibid.