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भारत में अंगरेज़ी राज

१६४६ भारत में अंगरेजी राज पराजय शाम्स, वीर और चतुर यने रहे जितने कि वे पहले किसी भी समय में रह चुके थे x तात्या अब उद्यपुर ( मेवाड़ ) की ओर बढ़ा । तुरन्त कई अंगरेजी सेनाएँ उस पर टूट पड़ीं । यह मुड़ कर मेजर रॉक की घुस गया के जंगल में । तात्या लिए अब बच । सकना असम्भव दिखाई देने लगा। एक दिन तात्या और रावसाहूव करोब चार बजे शाम को प्रतापगढ़ को और बढ़ । मेजर रॉक ने आकर सामने से उनका मार्ग रोक लिया। तात्या मेजर रॉक की सेना को परास्त करता हुआ आगे निकल गया । २५ दिसम्बर सन् १८५८ को तात्या वाँसयाड़ा के जंगल से निकला। ठीक इसी समय दिल्ली के राजकुल का प्रसिद्ध शहज़ादा फीरोज़शाह, जो अवध के संग्रामों में भाग ले चुका था, अपनी सेना सहित तात्या की सहायता के लिए श्रा रहा थाजिस प्रकार शहज़ादे फ़ोरोज़शाह ने सेना सहित गझा और को पार कर यमुना न तात्या से जाकर भेंट को, उसकी कहानी भी अत्यन्त मनोरक्षक है।

  • : १३ जनवरी सन् १५8 को इन्द्रगढ़ में फीरोज़शाह, तात्या और

रावसाहब में भेंट हुई। सींधिया का एक सरदार मानसिंह भी उस समय इन लोगों में आकर मिल गया। किन्तु इस समय तात्या फिर बुरी तरह चारों ओर से घिर रहा था । नेपियर उसके उत्तर में था, शॉबर्स उत्तर पश्चिम में, सोमरसेट पूर में, स्मिथ . ताख्या देवास में - *: lbid; volvp, 247.