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भारत में अंगरेज़ी राज

१६४ भारत में अंगरेज़ी राज सेना सहित महाराष्ट्र की भूमि पर जा पहुँचा : ईं निज़ाम हमारा वफ़ादार था । किन्तु यह समय बड़ा विचित्र था 18 ईं इससे पहले भी इस प्रकार की मिसाल हो चुकी थीं, जब कि यदि किसी नरेश ने राष्ट्र के भाों के विरुद्ध कार्य किया तो प्रशा ने अपने उस नरेश के विरुद्ध विद्रोह खड़ा कर दिया । सींधिया के विरुद्ध भी इस प्रकार का विद्रोह हो चुका या । हमें यह भय होना चावश्यक था कि कहीं ऐसा न हो कि सारया की सेना समस्त महाराष्ट्र को हमारे विरुद्ध शव उठा लेने के लिए उत्तेजित कर थे, र फिर जब सारी महाराष्ट्र कौम विदेशियों के विरुद्ध हथियार उठा ले तो इसे देन्त्र कर दृदिखन ( अर्थात् निज़ाम के इलाके ) के जो भी रोके न रुक सकें ।'’ निस्सन्देह यदि यही घटना एक साल पहले हुई होती तो सम्भव था के शेष भारतीय इतिहास की गति सया नागपुर में दूसरी ओोर को पलट जाती। किन्तु पिछले एक वर्ष के नम्र भारतवासियों का उत्साह काफ़ी टूट चुका था। उत्तरीय भारत में जिस तात्या को लोग स्वयं श्रा आकर खुशी से रसद पहुँचाते थे उस तात्या के पास नागपुर के महाराष्ट्र लोग अब श्रने तक के डर गए । है तात्या की सेना कुछ दिन बहाँ ठहरी रही। अंगरेजी सेना ने से फिर उसे चारों ओर से घेरना शुरू किया। तात्या के क्खिन और उत्तर दोन में विशाल अंगरेजी सेनाएँ थीं । उत्तर की सेना नर्मदा

  • Malleson's Indiafatiyvol, t, p, 239-40.