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लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे

लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे १२ . अंगरेज़ी सेना ने नागुण्ड पर फिर हमला किया । बाबासाहेब की सेमा हार गई । बाबासाहब स्वयं बच कर निकल गया । कुछ दिनों बाद बाबासाह्ब गिरफ्तार कर लिया गया और १२ जून सन् १८५८ को उसे फाँसी पर लटका दिया गया । उसकी रानी औौर माता दोनों ने मालप्रभा नदी में कूद कर प्रारमहत्या कर ली । कोमरग के भीमराव ने औौर खानदेश के भीलों और उनकी त्रियों ने तीर कमान लेकर अँगरेज़ों से युद्ध किया । किन्तु ये सब प्रग्रन अधिकतर समय निकल जtने के बाद हुए और नासानी दमन कर दिए गए। रंगून औौर बरमा में भी थोड़ा सा विप्लव हुथा, किन्तु कुसमय । श्ध हम फिर क्रान्ति के सव के महान क्षेत्र प्रबंध की घोर प्राते हैं । मौलवी अहमदशाह को हत्या से पहले अवध में नए सिरे लॉर्ड कैनिस ने अवध में यह एलान करवा दिया से क्रान्ति की। कि जो लोग हथियार रख देंगे उन्हें क्षमा कर दिया जायगा। और उनकी जागीरें ना कि घापस दे दी जायेंगी । किन्तु इसका विशेष असर दिखलाई न दिया । इसके बाद ५ जून सन् ५८ को अहमदशाह की दत्या हुई । श्रय नियाखियों का क्रोध फिर एक बार जोरों से भड़क उठा । निगमती ए न पीलीभीत पर हमला कर दृिग्रा 1 गानबहादुर व चार दज़ार सेना जमा कर फिर मैदान में उतर भाया। फ़ र।बाद में पाँच हज़ार सिपाही नए सिरे से जमा होगए । नामा तादव, याला साहब, बिलायतशाद और अली खां मेवाती के अधीन ना