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भारत में अंगरेज़ी राज


घायल थे। हैबलॉक की सेना में, जो कानपुर से चली थी, रेज़ि डेन्सी पहुँचने से पहले ७२२ आदमी मारे जा चुके थे। फिर भी! लखनऊ रेजिडेन्सी के हताश अंगरेजों की मदद के लिए पहुँच जाना हैवलॉक और उसके साथियों के लिए कुछ कम हर्ष की बात न थी। हैवलॉक को फिर एक बार भयार नैराश्य हुआ । उसके पहुँचने से रेजिडेन्सी का मोहासरा समाप्त न हो सका। हैवलॉक रेजिडेन्सी लखनऊ की क्रान्तिकारी सेना ने फिर एक बार में द रेजिडेन्सी को उसी प्रकार चारों ओर से घेर लिया, जिस प्रकार हैवलॉक के आने के पहले घेर रखा था। हैबहॉक औौर उसकी सेना व स्वयं रेजिडेन्सी के न्ट्र कैद हो गई। केवल कैदियों की संख्या पहले से बढ़ गई। लखनऊ का शेष नगर और अवध का समस्त प्रदेश पूर्ववत् स्वाधीन रहा। सर कॉलिन कैम्पवेल कम्पनी की सेनाओं का नया कमाण्डर- । इन-चीफ़ नियुक्त होकर १३ अगस्त को कलकते " कसएहर पहुँचा । मद्रासबम्बई, हलका और चीन से नई इन-चीफ़ सर कॉलिन कैम्पबेल अंगरेजी पलटने । नई जमा की गईक़ासिम वाज़ार के कारखाने में नई तोप ढाली गई । " इस तैयारी में कैम्पबेल को दो महीने लग गए। अन्त में २७ अक्तूबर को हैवलॉक और ऊटरम जैसे सेनापतियों को रेजिडेन्सी की कैद से मुक्त कराने और लखनऊ को फिर से विजय करने के लिए कैम्पबेल स्वयं कलकत्से से चला। नया