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भारत में अंगरेज़ी राज

१५३८ भारत में अंगरेजी राज निवासियों को, जो फ़रल या फाँसी से बच सके ज़बरदस्ती शहर से बाहर निकाल दिया गया । इतिहास लेखक होम्स लिखता है : “दिल्ली के बाशिन्दों ने विप्लवकारियों के आपरों का कई गुना प्राय श्चित कर डाला। दसों हज़ार सर्दनौरत और यथ्चे बिना घरबार के इधर उधर के इलाके में घूम रहे थे, जिन्होंने कि कोई अपराध न किया था। अपना जो कुछ माता प्रसबाय वे नगर में पीछे छोड़ गए थे उससे वे सदा के लिए हाथ धो चुके थे, क्योंकि सिपाहियों ने गली गली और घर घर जाकर हर कीमती चीज़ों को खोज कर निकाल लिया था, और जो कुछ सामान के उठा कर न ले जा सके उसे उन्होंने टुकड़े टुकड़े कर डाला 148 शहर पर प्रज्ञा करने के बाद तीन दिन तक कम्पनी की सेना के सब सिपाहियों को नगर की लूट मा रही। ‘प्राइ जन्सो' उसके बाद 'प्राइज़ एजेन्सी’ नाम से एक सर कारी मोहकमा खोल दिया गया, जिसका काम यह था कि शहर के तमाम घरों के हर तरह के माल असबाब को एक जगह जमा करके उसे नीलाम करे या गोदामों में रफ्छे और रुपया फ़ौज को तकसीम कर दे । इस मोहकमे ने मकानों के अन्दर किताबें, वरतन, चारपाई, चक्की, गड़ा हुआ T मात दौलत, यहाँ तक कि मकानों के - “The cople of Delhi had expiated, many times over, the erints of the mutineer, Tens of thousands ot men, and romen, and children, were एकandering, for no crime, honeless over the country, What they had lete behind was lost to the for ever, tor the soldiers, going from house to house and rom street to streetferreted ont ever article od value, and smashed to pieces whatever they could not carry a gay:"-Holmes ' A History t is Indian Natity, p386.