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भारत में अंगरेज़ी राज

१५३४ भारत में अंगरेजी राज लोग सबसे एकसा बदला ले रहे हैं । लूट में तो वास्तव में हम नादिरशाह से भी बढ़ गए !’’ मोहासरे के दिनों में किले के छत्ते में बीमार और घायल सिपाहियों का एक अस्पताल था। कम्पनी की सेना जिस समय किले के अन्दर घुसी, जितने घायल और बीमार अस्पताल के अन्दर दिखाई दिए उन सबको उसने अपनी गोलियों से सदा के लिए रोगमुक्त कर दिया । इसी प्रकार और भी अनेक जगह, जहाँ घायल और बीमार पाए गए, कत्ल कर दिए गए । मॉण्टगुमरी मार्टिन लिखता है : जिस समय हमारी सेना ने शहर में प्रवेश किया। दिल्ली के बाशिन्दों तो जितने नगर निवासी शाहर की दीवारों के अन्दर पाए गए उन्हें उसी जगह सद्दीनों से मार डाला गया ; आप समझ सकते हैं कि उनकी संख्या कितनी अधिक रही होगी, जब मैं आपको यह बताऊँ कि एक एक मकान में चालीस चालीस और पचास पचास आदमी छिपे हुए थे । ये लोग विद्रोही न , बल्कि शहर के बाशिन्दे थे, जिन्हें हमारी दयालुता और क्षमाशीलता पर विश्वास था । मुझे खुशी है कि उनका भ्रम दूर हो गया ।'* का रचे ग्राम 66। • After the siege was ever, the outrage committed by our army are simply hearterending A wholesale yengeance is being taken without distinction of friend and . As regards the lootin, we have indeed surpassed Nadirshah !-LtJof brd Lawr754 vol, mi, p, 262, ‘तारीख हिन्द' लेखक शम्शुल उलमा ज़ुशी ज़क्राउला लाँ। ६४६

' All the city people Hound within the wells when our traops entered

werk byonetted on the spot, and the number was considerable, as you may