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दिल्ली, पंजाब और बीच की घटनाएँ

( दिल्ली, पवघ औौर बीघ की घटनाएँ १५५ मैं भयाक्षर घष होने लगी। गली के के चन्द्र अक्षरशः रक्त की नदी बह में '7 निकली । अंगरेजो सेना को मजबूर होकर पीछे हट जाना पड़ा । निक्रसम यह हालत देख कर एक सच्चे योर के समान नागे बढ़ा। यद् गली क़रीब दो सौ गज़ तस्वी थी। किन्तु १४ सितम्बर के दिन इस गली ने जो श्रत कार्य कर दिखाया उसने वास्तय में इस गलो को अमर कर दिया । बीर निकल्सन को भी पीछे हट जाना पड़ा 1 इस पर मेजर जैकब आगे बढ़ा और तुरन्त घायल होकर गिर पड़ा। निकलसन फिर दूसरी बार आगे बढ़ा । किन्तु इस बार आगे बढ़ते ही घायल होकर जमीन पर गिर पड़ा अन्त में अंगरेज़ी सेना को गली छोड़कर पीछे हट जाना पड़ा । गली लाशों से भर गई । कम्पनी की सेना को पीछे हट कर फाशमीरी दबाज़े तौट आना पड़ा । जिस समय निकल्सन बर्न बैस्टियन की ओर बढ़ रहा था उसी समय करनल कैम्पबेल के अधीन एक दल जामे जमे मस्जिद की ओोर भेज दिया गया था । मसजिद की लडाई मस्जिद तक पहुँचने में इन लोगर्गों को बहुत अधिक कठिनाई नहीं हुई । किन्तु मस्जिद में उस समय कई हजार

में मुसलमान जमा थे । उन्हें पता चल गया था कि अंगरेज़ मसजिद

को बारूद से उड़ाना चाहते हैं। इन सब के पास तलवारें थीं, बन्दू म थीं। ये सब लोग अपनी तलवार हाथ में लेकर मसजिद से निकल पड़े। लव से पहले उन्होंने अपनी तलवारों के मियान काट कर फेंक दिए। उन्हें मसजिद के बाहर देखते ही अंगरेज़ी