पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/४६४

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१५२१
दिल्ली, पंजाब और बीच की घटनाएँ

दिल्ली, पजाय और बीच की घटनाएँ १५२१ जब कि बहूत झाँ ने इन दोनों सैन्यलों को लेकर अंगरेज़ी सेना के Y मुख्य स्थान नजफगढ़ पर हमला कियानीमच की सेना ने बढ़त खाँ की भाषा का उरुलदन किया । इन लोगों ने उस स्थान को छोड़ करजहाँ पर कि बढ़त खाँ ने उन्हें ठहरने के लिए कहा था, पाल के दूसरे गाँव में डेरे जमाए। वे लोग चोप क्रान्तिकारी सेना से पृथ होगए। जनरल निकल्सन ने समाचार पाते ही पहले उन पर हमला किया और एक अत्यन्त घमासान संग्राम के बाद, जिसमें कि नीमच का एक एक सिपाही कट कर मर गया, कम्पनी की सेना ने विजय प्राप्त की। बख़्त खाँ को श्रपनी शेष सेना सहित पीछे लौट आना पड़ा। नीमच की सेना की बहादुरी की अंगरे इतिहास लेखक ने मुक्ककएठ से प्रशंसा की है । किन्तु बिना सेनापति की प्रमन्य ग्राझापालन के संसार की कोई लेना भी विजय प्राप्त नहीं कर सकती। पूर्ण व्यवस्था सामरिक सफलता का सब से चावश्यक खाधन है । १६ मई के बाद वह पहला दिन था कि दिल्ली के नगर के अन्दर नैराश्य की छटां दिखाई देने लगी और कम्पनी की सेना के हौसले दुगने होगए। में कम्पनी की घोर उल लमय साढ़े तीन हज़ार अंगरेज़, पाँच हज़ार सिख, गोरखें औौर पजाबी, ढाई हज़ार कम्पनी की सेना काशमीरोऔौरस्वयं झींद का महाराजा और उसकी सेना थी। नगर के अन्दर व्यवस्था बढ़ती चली गई। सितम्र के शुरू में अंगरेजी सेना को धीरे धीरे नगर पर ग्रामीण