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दिल्ली, पंजाब और बीच की घटनाएँ

दिल्ली, पक्षाघ और बीच की घटनाएँ १५०१ हयाकाण्ड इस रोमाचकारी अत्याचार की ख़बर नाना के कानों तक पहुँची । कानपुर के नेताओं और मगरनिवासियों बीबीगढ़ का का क्रोध पराकाष्ठा को पहुँच गया। नाना साहब ने स्वयं सेना लेकर भागे बढ़ने का निश्चय किया। इसी समय अंगरेजों के कुछ जासूस गिरफ्तार होकर नाना के सामने पेश किए गए1 इन जासूसों से पता चला कि जो अंगरे स्त्रियाँ बीवीगढ़ की कोठी में नज़रबन्द थीं उनमें से कई नाना के विरुद्ध इलाहाबाद के अंगरेजी के साथ गुप्त पत्र व्यवहार कर रही थीं 10 अगले दिन शाम को वह घटना हुई जो क्रान्तिकारियों के नाम पर पक करतक रहेगी । कहा जाता है कि कानपुर के १२५ अंगरेज कैदी स्त्रियाँ और बच्चे कल कर डाले गए, और दूसरे दिन प्रातः- काल उनकी लाशों को एक कुएं में डाल दिया गया। कानपुर की इस हृदय विदारक घटना के सम्बन्ध में अंगरेज़ इतिहास लेखक अनेक प्रकार की टीका कर चुके हैं । इसी घटना के आधार पर नाना साहब को निर्देय हत्यारा साबित करने की चेष्टा की गई है । हमें यह देख कर दुख होता है कि इतिहास की जिम पुस्तकों , विशेषकर स्कूलों और कॉलेजों की जिन पाठ्य पुस्तकों में जनरल नीलजनरल हैवलॉक, जनर ऐनसनजनरल बरनार्ड • Warrated with Indian Real, . 113. One of the Christian pri soners in the prison ot Nana Sahab told the same thing and an Ayah ago corroborated it. स्७