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भारत में अंगरेज़ी राज

१५०० भारत में अंगरेज़ी राज के निवासियों का संहार किया गया कि जिसे देख कर एक बार मोहम्मद तुग़त भी शरमा जाता ? नाना साहब ने ज्वालाप्रसाद और टीका सिंह कं के अधीन कुछ सेना कम्पनी की सेना के मुक़ाबले के लिए भेजी। ‘फ़तपुर की ग्नि १२ जुलाई को तड़पुर के नजदीक दोनों सेनाओं समाधि में एक संग्राम हुआ जिसम कानपुर की क्रान्ति कारी सेना को हार कर पीछे हट जाना पड़ा । इसके बाद अंगरेज़ों ने फतहपुर के नगर में प्रवेश किया । इस बीच फतहपुर का नगर अपनी स्वाधीनता का एलान कर चुका था। कुछ अंगरेज़ अफ़सर यहाँ पर मारे भी जा चुके थे। किन्तु वहाँ के मैजिस्ट्रेट गोरर की क्रान्तिकारियों ने जान बख्श दी थी और उसे फतहपुर ले जाने की इजाजत दे दी थी । शेरर इस समय हैवलॉक की सेना के साथ था । हैवलॉक और शेरर ने नगर से पूरा बदला लिया । सब से पहले कम्पनी के सिपाहियों को नगर लूटने की आज्ञा दी गई । उसके बाद लिखा है कि अंगरेज सेनापति की आज्ञा से फतहपुर के नगर और नगरनिवासियों को उसी के

िअन्दर जला कर खाक कर दिया गया।

• 4" . . . letters which reched home in 1857, in which an officer in bigh commad during the march upon Carmpore, reported, ‘ good bag to- -day, polished of rebels, ' it being boune in mind that he rekbels' thns hanged or blown from guns were not taken in arms, but villagers apprehended 'on suspicion, ' During this march atrocities were committed in the buming of illages and masshere t innocent inhabjtants at which Mohammad Tuglak himself ould have stood ashaned, . . . . . "-reattr Britain, by Sir Charles Diike.