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भारत में अंगरेज़ी राज

१४४६ भारत में अंगरेज़ी राज अब हम फिर थोड़ी देर के लिए दिल्ली से हट कर विप्लव के अन्य केन्द्रों की ओोर दृष्टि डालते हैं। जिस प्रकार भारतीय नरेशों को , लि ने कम्पनी की सहायता द्वारा उसी प्रकार अनिश्चितता अनेक राजपूत तथा मराठा नरेशों ने अपनी अनिश्चितता द्वारा भारतीय स्वाधीनता के प्रयत्न को वहुत बड़ी हानि पहुंचाई। जयाजीराव सधिया उस समय ग्वालियर की गद्दी पर था। उसकी समस्त भारतीय सेना जो अत्यन्त सन्नद्ध ग्वालियर की स्थिति थी, राष्ट्रीय योजना में शामिल थी। १४ जून को ग्वालियर की सेना ने कम्पनी के विरुद्ध क्रान्ति का झण्डा खड़ा कर दिया। उन्होंने ग्वालियर के घइरेजों के मकान जला दिए, अंगरेज़ अफ़सरों और नगर के अन्य अंगरेजां को मार डाला। किन्तु अंगरेज़ स्त्रियों और बच्चों को उन्होंने छुआ तक नहीं हैं इन रात । सब को उन्होंने केवल गिरफ्तार कर लियाकुछ अंगरेज़ आगरे की ओर भाग निकले 1 स्वालियर की समस्त रियासत से कम्पनी से का प्रभाव और प्रभुत्व दोनों बिलकुल मिट गए । फिर भी महाराजा ८ सींधिया सोच में रहा। निस्सन्देह यदि महाराजा सधिया उस समय कम्पनी के साथ मित्रता निबाहने के स्थान पर खुले क्रान्ति कारियों का साथ दे बैठता और अपनी विशाल सेना सहितजो इस समय नेता न होने के कारण निकमी थी, दिल्ली पर चढ़ाई कर देता तो दिल्ली के भीतर की क्रान्तिकारी सेना और वाइर से

  • Mrs, Coopland's Narrative.