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भारत में अंगरेज़ी राज

१४७६ भारत में अंगरेजी राज अधिक भयद्र व्यवहार किया गयाताकि दूसरों को शिक्षा हो। उनका कोर्ट मार्शल हुआ, उन्हें दण्ड दिया गया और उनमें से हर ॥ तीसरे मनुष्य को तोप के मुंह से उड़ाने के लिए चुन लिया गया ।’’ एक अंगरेज अफ़सर, जो इन लोगों के तोप से उड़ाए जाने के समय उपस्थित था, उस दृश्य को वर्णन करते वीभत्स दृश्य हुए लिखता है 56उस दिन की परेड का दृश्य विचित्र था। परेड पर लगभग नौ हज़ार सिपाही थे x X एक चौरस मैदान के तीन और फ़ौज खड़ी कर दी गई। बौथी और दल तोपें थीं ।x m पहले दस कैदी तौों के मुंह से बांध दिए गए । इसके याद तोपखाने के प्रफेसर ने अपनी तलवार हिलाई, तुरन्त तोपों की गरज सुनाई दो और धुएं के ऊपर हाथ, पैर और सिर चारों ओोर हवा में उड़ते हुए दिखाई देने लगे । यह दृश्य चार बार दोहराया गया । हर बार समस्त सेना में से एक ज़ोर की ज सुनाई देती थी जो इश्य की वीभत्सता के कारण लो के हृदों से निकलती थी । उस समय से हर सप्ताह में एक या दो बार उसी तरह के प्राणदएड की परेड होती रहती है और हमें उसकी इतनी आदत हो गई है कि अब हम पर उसका कोई असर नहीं होता x हैं ।

  • " of the prisoners of the 55th n more areful example was made.

They were tried, condemned, and every third rman was selected to be blown away from guns. "-lbid, p. 36, + That arede was a strenge sceneThere were about nine thousand men on prade ) , . . The troops were drawn up on three sides of a square, the fourth side being occupied by ten guns. . . . . . The first ten of the prisoners were then lashed to the guns, the artillery oficer gaved his sword