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भारत में अंगरेज़ी राज

१४६८ भारत में अंगरेजी राज रक्खो थो । किन्तु दिल्ली के महत्वपूर्ण संग्रामों को वर्णन करने से 'पहले हमें दिल्ली के उत्तर पश्चिम में पजाब की ओर एक दृष्टि । डालनी होगीविशेष कर क्योंकि उस भोर से ही अंगरेजों ने दिल्ली 'पर हमल किया । लॉर्ड के निर्दे ने मेरठ और दिल्ली के अशुभ समाचार पाते ही एक और मद्रास, कलकता, रछून इत्यादि से लॉर्ड कैनिन की फोज जमा करके जनरल नीत के अधीन वनारस तैयारी और एलान और इलाहाबाद की ओर भेजी और दूसरी ओर कमाण्डरइन-चीफ़ ऐनसन को, जो उस समय शिमले में था, 'पक्षाब से सेना जमा करके तुरन्त दिल्ली पर चढ़ाई करने और दिल्ली फिर से बिजय करने की चाशा दी । इसी समय लॉर्ड कैनि ने भारतीय सिपाहियों को सान्त्वना देने के लिए समस्त भारत में एक एलान प्रकाशित करवाया, जिसका सार यह था कि कम्पनी सरकार का विचार न कभी किसी के धर्म में हस्तक्षेप करने का था और न है, सिपाही यदि चाहें तो अपने कारतूस स्वयं बना सकते हैं और जिन लोगों ने कम्पनी का नमक खाया है उनके लिए विप्लव 5 ' में भाग लेना पाप है इत्यादि। किन्तु इस तरह के एलान का प्रब क्या प्रभाव हो सकता था। जनरल एनसन को दिल्ली फिर से विजय करने के लिए सेना केवल पकाव से मिल सकती थी। यदि पवाब यदि पक्षय क्रान्सि ने उस समय क्रान्ति का उसी प्रकार साथ दिया का साथ देता होता जिस प्रकार अवध और रुहेलखण्ड ने, तो