पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/३८२

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१४५४
भारत में अंगरेज़ी राज

________________

१४५४ भारत में अंगरेज़ी राज | चुकी थी और कम्पनी का राज कायम हो चुका था । ४ जून को सच से पहले १२ नं० देशी पलटन के हवलदार गुरुवख्श सिंह ने किले के मैगज़ीन और खज़ाने पर कब्जा कर लिया। उसके बाद रानी लक्ष्मीबाई ने महल से निकल कर शस्त्र धारण कर स्वयं क्रान्तिकारी सेना का सेनापतित्व ग्रहण किया। उस समय लक्ष्मी वाई की आयु केवल २१ वर्ष की थी। ७ जून को रिसालदार काले | खाँ और तहसीलदार मोहम्मदहुसेन ने रानी की ओर से किले पर हमला किया। किले के अन्दर की हिन्दोस्तानी सेना ने भी साथ दिया । ८ जून को कहा जाता है कि रिसालदार काले खाँ की आज्ञा से किले के अन्दर के ६७ अंगरेज़, जिनमें पुरुष, स्त्रियाँ और बच्चे शामिल थे, कुत्ल कर दिए गये । इतिहास लेखक सर जॉन के लिखता है कि इस हत्याकाण्ड से रानी लक्ष्मीबाई का कोई सम्बन्ध न था, न उसका कोई आदमो मौके पर मौजूद था और न उसने | इसकी इजाज़त दी थी ।* अन्त में उसी दिन झॉसी पर से कम्पनी का राज हटा दिया गया। बालक दामोदर के वली की हैसियत से रानी लक्ष्मीबाई फिर से झाँसी की गद्दी पर बैठी। कम्पनी के झण्डे की जगह दिल्ली सम्राट की पताका झाँसी के किले पर फहराने लगी। सारी रियासत में ढिंढोरा पिटवा दिया गया - 3 ‘खत्क खुदा का, मुल्कं बादशाह (अर्थात् दिल्ली के बादशाह ) का, हुकुम रानी लक्ष्मीबाई का । सन् ५७-५८ के सबसे अधिक भयङ्कर संग्राम अवध की भूमि • History of the Sepoy War, by Sir John Kaye, vol. ii, p. 369.