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भारत में अंगरेज़ी राज

१४४४ भारत में अंगरेजी राज- का भाग जब कि अंगरेज़ी कैम्प की यह हालत थी, नाना के पास चारों ओर के ज़मींदारों की ओर से धन और जन नाना को सहायता दोनों की सहायता धड़ाधड़ चली आ रही थी। नाना और उसके साथियों का उत्साह बढ़ा हुआ था। नाना के अधीन इस समय करीव चार हज़ार सेना थी। कानपुर की हिन्दू और मुसलमान स्त्रियाँ उस समय अपने ___ घरों से निकल निकल कर गोला बारूद इधर क्रान्ति में कानपुर उधर ले जाने, सैनिकों को भोजन पहुँचाने और . की स्त्रियों ठीक अंगरेज़ी किले की दीवार के नीचे " तोपचियों को मदद देने का काम कर रही थीं। इन सब स्त्रियों में उस समय कानपुर की एक वेश्या अज़ीज़न का नाम अत्यन्त प्रसिद्ध है । एक इतिहास लेखक लिखता है कि यह अज़ीज़न हथियार बाँधे हुए घोड़े पर चढ़ी हुई विजली की तरह शहर की गलियों और छावनी में दौड़ती फिरती थी। कभी वह गलियों के अन्दर थके हुए और घायल सिपाहियों को दूध और मिठाई बाँटती थी, और कभी अंगरेज़ी किले की ठीक दीवार के नीचे लड़ने वालों के हौसले बढ़ाती थी। ठीक उस समय जव कि अंगरेज़ी किले का मोहासरा जारी था,नाना ने शहर के शासन का पूरा प्रवन्ध किया। नाना का शासन न शहर के प्रमुख लोगों को जमा करके उनके वहुमत से हुलाससिंह नामक एक मनुष्य को मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया ! फ़ौज को रसद पहुँचाने का काम प्रबन्ध