पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/३२१

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१४००
भारत में अंगरेज़ी राज

का काम। १४०० भारत में अंगरेजी राज इस प्रकार इन गाय और सुश्रर की चरवी से सने हुए कार- तूसों न उस समय की हिन्दोस्तानी फ़ौज के क्रान्ति की चिनगारी अन्दर स्फोटक मसाले के ऊपर चिनगारी का काम किया। कोई कोई अंगरेज इतिहास लेखक कारतूसों के मामले को ही क्रान्ति का एक मात्र या मुख्य कारण बतलाते हैं। इन लोगर्गों के उत्तर में हम केवल दो तीन प्रामाणिक अंगरेज इतिहास लेखक की ही राय नीचे उद्धृत करते हैं । जस्टिन मैकार्थी लिखता है । ‘सच यह है कि हिन्दोस्तान के उत्तरीय और उत्तर पश्चिमी प्रान्तों के अधिकांश भाग में देशी क़ौमें अंगरेजी सत्ता के विरुद्ध खड़ी हो गई चरबी की कारतूसों का झगड़ा केवल इस तरह की एक चिनगारी थी जो अकस्मात् इस समस्त स्फोटक मसाले में श्रा पढ़ी । x & ” वह एक राष्ट्रीय और धार्मिक युद्ध था !' एक दूसरा इतिहास लेखक मैडले लिखता है : किन्तु वास्तव में ज़मीन के नीचे ही नीचे जो स्फोटक मसाला अनेक कारणों से बहुत दिनों से तैयार हो रहा था, उस पर चयी लगे हुए कारतू ने केवल दियासलाई का काम किया है। * “The fact was that throughout the greater part of the northers and north-esten provinces of the Indian peninsula, there was a rebellion of the native races against the English poer . . . . . . The quarrel about the greased cartridges was but the chance Spark fung in among all the co। busible tnaterial. . . . anational and religious ar !"-istory of Our oren , by Justin Me Carthy, vol iii. • " But, in fact, the greased cartridge was merely the Imatch that