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सन् १८५७ की क्रान्ति से पहले

सन १८५७ की क्रान्ति से पहले १३१ को है धीरे धीरे संगठन के केन्द्र की संख्या बढ़ने लगी। न त्रा के बीच गुप्त पत्र व्यवहार जारी हो गया । जगह क्रान्ति के gतान जगह क्रान्ति के ग्राम प्रकाशित होने , जिनमें लोगों को देश और धर्म के नाम पर शहीद होने के लिए ग्रामप्रन किया गया । इस प्रकार का एलान सन१८५७ के प्रारम्भ में माम में भी लगा हुमां पाया गया । जगद जगह गुप्त सभाएं होने लगीं. जिनमें एक एक समय दस दस हज़ार यादमी भाग लेते थे । उग्रबहार के लिए गुप्त लिपि तैयार हो गई 15 अन्त में इस गुन संगठन के नेफ केन्द्रों को एक सूत्र में न और देश भर में क्रान्ति का दिन निर्यात करने के नाना साहय की लिए मार्च सन् १८५७ के प्रारम्भ में नाना साक्ष्य तीर्थ यात्रा १ और ग्रीमुल्ला खाँ तीर्थ यात्रा के बहाने चित्र से निकले। मामा साक्ष्य का भाई बाला साक्ष्य भी उनके गाव था । सय से पहले ये लोग दिल्ली पहुँचे, सात किले के दीयान ख़ास में सम्राट बहादुरशाद, बेगम ज़ीनत मएल और दिल्ली से मुख्य मुख्य नेताओं के साथ इन लोगों की गुप्त सन्नग में हुई। में । इसके बाद नाना नम्यान गा1 श्रन्य ग्र प, घी में ध लगाने के बाद १८ अप्रैल को नामा और उनके साथी रामक पहुँचे तखनऊ में नामा का बड़े समारोह के साथ जुलूस निकाला गया । नागा जहाँ जाता था यहां के ग्रंगरेज़ श्रमों से मिल चुर उन्हें तरह तरई के घझाने करके अपनी ओर से नि: पर देने के से के :



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