पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/३११

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१३९०
भारत में अंगरेज़ी राज

१३० भारत में अंगरेज़ी राज । इसका एक कारण यह भी था कि अधिकांश अंगरेज़ी थानों में पुलिस, अनेक अन्य सरकारी मुलाज़िम और क्रान्ति और , अंगरेज़ों के बावर्ची और भिश्ती तक इस राष्ट्रीय सरकारी कर्मचारी योजना में शामिल थे। कहीं कहीं अंगरेज़ों ने किसी प्रचारक को पकड़ भी लिया । एक अंगरेज़ इतिहास लेखक लिखता है कि एक बार मेरठ छावनी के निकट कोई फ़क़ीर ठहरा ! हुआ क्रान्ति का प्रचार कर रहा था । अंगरेज़ ने उसे बाहर निकाल दिया । बह फ़क़ीर अपने हाथी पर बैठ कर पास के गाँव में चला गया । और वहाँ से अपना काम करता रहा 1% इन राजनैतिक कोरों को प्रायः सवारी के लिए हाथी और रक्षा के लिए सशस्त्र सिपाही मिले हुए थे । यहाँ तक कि काशीप्रयाग और हरिद्धांर में अंगरेजी राज के नाश के लिए खुली प्रार्थनाएँ होने लगीं और शहल यात्री भाबी क्रान्ति में भाग लेने का स३ल्प उठाने लगे। तमाशों, पबाड़ों, लावनियाँ, कठपुतलिय, माटकों आदिक से भी ’ बिप्लब के संचालकों ने पूरा लाभ उठाया । इस प्रकार का व्यापक प्रचार कम या अधिक एक साल से ऊपर तक जारी रहा । दिल्ली दरबार के राजकवि ने एक राष्ट्रीय गान तैयार किया जो देश भर में स्थान स्थान पर गाया। राष्ट्रीय गान जाने लग । fidelity with which they adhered to each other. "DHPanteen aia, by Sir George Le Grand Jacob, K . C. S. I., C. B. - * Tht cerat Narrating. t Tevelyan's Claunger. .