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भारत में अंगरेज़ी राज

१३४ भारत में अंगरेज़ी राज किन्तु इसमें सन्देह नहीं कि अज़ीमुल्ला खाँ ने इतालिया, रूसटर्की, मि इत्यादि देशों की सहानुभूति अपने भावी स्वाधीनता युद्ध की । और करने की कोशिश की । लॉर्ड रॉबर्ट्स ने अपनी पुस्तक "फ़ॉरटी इय-इन-इण्डिया' में लिखा है कि उसने अज़ीमुलां के कई पत्र इस सम्बन्ध में टर्की के सुलतान और उमरपाशा के नाम देखे जिनमें भारत के अन्दर अंगरेजों के अत्याचारों का वर्णन था। यह मालूम नहीं कि अज़ीमुल्ला खाँ को अपने इन प्रयतों में कहाँ तक सफलता प्राप्त हुई, किन्तु दो बातें गैरीबॉडडी कि क्रान्ति के और ध्यान में रखने योग्य हैं 1 एक यह भारतीय क्रान्ति दिनों में भारत के अन्दर यह एक ग्राम अफवाह उड़ी हुई थी कि नाना साहब ने अंगरेजों के विरुद्ध रूस के ज़ार के साथ कुछ सन्धि कर ली है । दूसरी यह कि जिन दिनों भारत में बिप्लब जारी था उन दिनों इतालिया का प्रसिद्ध देशभक्त सेनापति गैरीबॉडी भारतवासियों की सहायता के लिए अपने देश से सेना और सामान लाने की तैयारी कर रहा था । इतालिया की आन्तरिक कठिनाइयों और विद्रोह के कारण गैरीबॉल्डी को जल्दी वहाँ से चलने का अवकाश न मिल सका हैं और जिस समय गैरी- वॉल्डी अपने यहाँ के जहाज़ों में सेना और सामान भर कर भारतीय ) विप्लवकारियों की सहायता के लिए अपने देश से चलने को तैयार हुआ, उसी समय उसे मालूम हुआ कि भारत का बिप्लब शान्त हो का गैरोबॉल्डी ने बड़े के साथ अपनी सेना को जहाज़ों से दुख उतार लिया।