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१३८२
भारत में अंगरेज़ी राज

१३८२ भारत में अंगरेज़ी राज क्रान्ति के मुख्यतम नेताओं में से था। ऊपर लिखा जा चुका है। कि माना साहब ने अपनी पेनशन के विषय नाम का में अपील करने के लिए अज़ीमुल्ला खाँ को वकील 28 अज़ीमुला इइलिस्तान भेजा था । यह अज़ीमुल्ला नाना का जन्दन में विश्वस्त सलाहकार और क्रान्ति का दूसरा मुख्य नेता था । अज़ीमुल्ला अत्यन्त योग्य नीतिश था। अंगरेजी और फ्रासीसी दोनों भाषाओं का वह पूर्ण पण्डित या । विलायत में वह हिन्दोस्तानी वेश में ही रहता था । देखने में वह अत्यन्त सुन्दर था । लम्ट्रम के उच्च समाज के लोगों में उसका प्रवार व्यवहार इतना आकर्षक रहा कि लिखा है कि उच्चतम श्रेणी के अंगरेजी समाज की अनेक लियाँ उस पर मुग्ध हो गई। फिर भी अजीमुल्ला को अपने मुख्य उद्देश में सफलता प्राप्त न हो सकी। अर्थात् नाना की पेनश्शन के विषय में इइलिस्तान के नीति या शासकों ने उसकी पक न सुनी । ठीक उन्हीं दिन सतारा के पदच्युत राजा को ओर से अपील करने के लिए रद्दो बापू जी नामक एक मराठा अज़ीमुल्ला और नीतिज्ञ हुआ था । रहो भी इझतिस्तान गया रनो बापू जी की बापू जी को भी अपने कार्य में सफलता न हो : लन्दन में सलाहें सकी 1 लन्दन में अज़ीमुल्ला और रो वापू जी की भेंट हुई। सम्भव है कि सन् ५७ की क्रान्ति की योजना का है सूत्रपात भारत से अजीमुल्ला के चलने से पहले बिटूर हो में हो चुका हो । किन्तु इसमें सन्देह नहीं कि रो बापू जी और अजीमुल्ता खाँ