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भारत में अंगरेज़ी राज

डलहौजी की भूपिपासा १४ जीवन में श्नय्याशी लेशमात्र भी नम थी, या यह कि उसका व्यक्तिगत चरित्र सर्घथा एक ग्रादर्श चरित्र था। फिम्ढ याजिदती शाह हम उस भारतीय नरेश के साथ केवल म्याय का चरित्र और सत्य की दृष्टि से निम्न लित्रित बातों का प्रतिपादन करते हैं- एक यह कि वाजिदली शाह का यात्री का जमाना येघन उस समय प्रारम्भ हुआाजिस समय अंगरेज गबरनर जनरल गौर रेज़िडेण्ट के हस्तक्षेप द्वारा उसे अपनी फौज को फ़या यद कराने तक से रोका गया । उस जमाने में भी वाजिद ली शाद की श्रय्याशी की निस्बत जितनी बातें कही जाती हैं, उनमें ४० फ़ीसदी कल्पित और मिथ्या हैं । और उनमें सत्य की मात्र दापि उससे अधिक नहीं है जितनी संसार के ६० फ़ीसदी नरशी फं के जीवन में । पाई जाती है और जितनी जलाइवयारन ऐस्टिग्स जैसे प्रोनेफ गबरमर जनरलों के जीवन में कहीं अधिक पतित र प्रसभ्य कप में पाई जाती थी । साथ ही इस अनुचित हस्तक्षेप से पहले याजिद्धली शाद का जीवन एक नरेश की हैसियत से प्रसारण संयम का जीवन था । दूसरी बात यह कि बाजिदली शाद शुजाउद्दीला के बाद अबध का पहला नबाव था जिसने अपनी वाजिदती शाद सल्तनत यो ग्रंगरेज के प्रभाव से मुक्त करने का की स्वाधीनता विचार किया, और यही उस को प्रापति और उस पर झूठे कलों का कारण हुआ।