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डलहौज़ी की भू-पिपासा

डलहौजी की भू-पासा १३३६ निजाम के जो कुछ क़र्ज़ थे वे व्यक्तिगत कम्पनियों के कर्जे थे, फिर + भी "छपने कृजों को अदायगी में” निज़ाम से उसका एक तिहाई राज ग्रयोत् बरार का उपजाऊ प्रान्त फैोरन . कुछ चों के लिए पट्ट पर तलब किया गया। निजाम ने बहुतेरे एतराज किएकिन्तु अंगरेजी फौज ने बरार पर प्रच्ज़ा कर लिया 1 लॉर्ड डलहौजी में सजीदगी के साथ यह एलान किया कि घर बाद में निजाम पी लट दिया जायगा । इसके करीब पचास वर्ष बाद गधरनर सनग्न लॉर्ड करजन न बरर के पट्टे को मौजूदा ग्रंगरेज सरकार के माम स्थायी कर लिया। निजाम के पास स्वीकार करने के सिया को । चार न था । का नया अवधे स। परिचय भारत भर में सब से अच्छी रुई वर के प्रान्त में पैदा होती है। सय से ग्रन्तिम भारतीय राजजिसे लॉर्ड डलो ने अंगरेज़ी राज में शामिल किया, वध या राज था। डलहौज़ी की म लॉर्ड डलहौजी के इस कार्य को वर्णम यरने से पहृले कुछ वर्ष पूर्व की एक और हजम घटना को वर्णन करना प्रशासनिक न होगा । डलहौजी का पिता एक समय कम्पनी की भारतीय सेना का Y कमाण्डरइन-चीफ़ था। अपने समय के अन्य अंगरेज अफसरों के समान वह एक बार लखनऊ के नबाथ से भेंट करने गया 1 कमाडर इन-चीफ़ ने अवध के नया से अपनी प्रक्रेिन का परिचय कराया। सम्भवत: -। कमाण्डरइनचीफ का उद्देश् अपनी पत्नी को सदन में भिजवा कर बेग से कुछ नज़रें कमाना था । पुरुषों से रिव्रयों का ।