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भारत में अंगरेज़ी राज

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भारत में अंगरेजी राज

प्रशा । गबरनर जनरल की कौन्सिल का एक सदस्य जनरल लो किसी कारण इस अत्याचार के विरुद्ध था। उसने इंगलिस्तान में भसले कुल की ओर डलहौजी के इस अन्याय डलहौजी की को बड़े ज़ोरदार शब्दों में स्वीकार किया है । फिर भी इझोलेस्तान के उदार से उदार नीतिज्ञों ने इस कार्य के लिए लॉर्ड डलहौज़ी की (व प्रशंसा की। नागपुर राज का एक भाग इससे पूर्व ही अंगरेजी राज में मिला लिया जा चुका था । शेष समस्त भाग भी अंब कम्पनी के भारतीय राज में शामिल कर लिया गया । किन्तु लॉर्ड डलहौज़ी और उसके अंगरेज़ साथियों की धन- लोलुपतां यहीं पर समाप्त नहीं हुई । इतिहास नागपुर में महलों लेखक सर जॉन के लिखता है कि नागपुर के की लूट राजमहल का सारा असबा, यहाँ तक कि घोड़े, हाथो, ऊँट, बैलगाय इत्यादि और रानियों के तमाम घर और जवाहरातघर का समानबरतन और पहनने के कपड़े तक ज़बरदस्ती बाहर निकाल कर नीलाम कर दिए गए ! सर जॉन के लिखता है कि उस दिन सीताबडी में शाही हाथी, घोड़े और सबारी. के बैल मांस के दाम बेचे गए ! अस्सी वर्ष की वृद्धा राजपितामही। महारानी वड्घाई इस अपमान को देख कर इतनी हुणी हुई कि एक बार उसने कह दिया कि यदि महल का सामान बाहर निकाला गया तो मैं महल में आग लगा ढूंगी । फिर भी सामान बाहर "निकाल लिया गया ।महल के भीतर का फर्श तक खोद डाला