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१३२५
डलहौज़ी की भू-पिपासा

डलहौजी की भू-पिपासा १३२५ स बाद। इसी नीति के अनुसार लॉर्ड डलहौजी क पूर्व कोलाबा,मारइयी आ मुम्बाला की रियासतों पर क़ब्ज़ा किया जा चुका था। औौर लॉर्ड डलहौजी में और अधिक जोरों के साथ इस नीति पर अमल किया। निसन्देह यदि लॉर्ड डलहौजी के बाद ही सन् १८५७ का बिप्लब न हुया होता तो सम्भव है भारत के ग्रन्टर एक भी हिन्दू या मुसलमान देशी रियासत न बची होती। सब से पहला भारतीय राजजिसे इस नीति के अनुसार लॉर्ड डलहौजी ने जब्त किया, सतारा का राज सतारा के राजा था। सन १८६८ में पेशवा बाजीराव की सला का नाश करने के लिए जो पलान कम्पनी ने प्रकाशित किया था उसमें मराठा मण्डल के शेष समस्त नरे और जागीरदारों से यह वादा किया गया था कि श्रापके श्रौर आपके उत्तराधिकारियों के अधिकारों में कभी किसी तर का हस्तक्षेप न किया जायगा । सतारा के राजा शिवाजी के वंशज थे। सतारा के राजा क के नाम का उस समय पेशवा के विरुद्ध उपयोग करने में के लिए सतांता के राजा से यह साफ़ वादा किया गया कि पेशया की खसा को ग्रान्त कर मठ साम्राज्य का धपत्य फिर से ए आपको प्रदान कर दिया जायगा और सतारा हो को समस्त सरााठा साम्राज्य की मुख्य राजधानी बना दिया जायगा । consent to doptions, the indulgence should be the excation and ho the rul, and should never be granted but as a pecial mark of aroliatie, ". Court of Directors of the East India company, 1834. • rtz avar br sterical sk१४१, by Baiwant Rao Chi avik, trat . lated into Englis, by Di, Milne,