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१३१०
भारत में अंगरेज़ी राज

१३१० भारत में अंगरेजी राज कप्तान शेपर्ड ने मोतमई और रहून के बीच में मेरे एक भाई यूसुफ मल्लाह को समुद्र में फेंक दिया। दूसरा मुकदमा यूसुफ़ के एक दूसरे भाई दीवानश्रली ने दायर किया। दीवानश्चली की शिकायत यह थी कि यूसुफ़ को जब समुद्र में फेंका गया उस समय उसके पास ५००० रु० नकद मौजूद थेऔर कप्तान शेपर्ड ने उसे समुद्र में फेंकने से पहले उसने यह रकम छोन ली । बरमी अदालत के सामने कप्तान शैपर्ड पर नर हत्या और लूट दोनू का मुकदमा चलाया गया । जहाज के अन्य लोगों की गवा हियाँ ली गई । अन्त में चैपर्ड दोनों जुर्मों का दोषी साबित हुआ । अदालत ने नर हत्या के अपराध में उस पर ४६ पाउण्ड जुरमाना किया और इसके अतिरिक्त दीवानअली को शेपर्ड से १५ पाउण्ड हरजाना दिलबाया 1 इस प्रकार कप्तान शेपर्ड को अपने समस्त अपराध के बदले कुल १०१ पाउण्ड अर्थात् करीब एक हजार रुपए देकर छुटकारा मिल गया। अगस्त सन् १८५१ में इसी तरइ की एक दूसरी घटना हुई। ‘चैम्पियन' नामक एक दूसरा अंगरेजो जहाज कप्तान लुई का मॉरीशस से रकून पहुँच्चा । इस जहाज के कप्तान है पूछनैमरा लुई के विरुद्ध दो वझालो कुलियों ने नरहत्या ॥ और और कई सद्दीन जुम की शिकायत की । कप्तान लुई दोषी पाया गया और उस पर ७० पाउण्ड जुरमाना करके छोड़ दिया गया। इसमें कोई सन्देह नहीं हो सकता कि रक्रेन की वरमी अदालत