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दूसरा सिख युद्ध

दूसरा सिख युद्ध १२१७ कप्तान ऐबट को और अधिक बहाना मिल गया । उसने 6 चतरसिंह के विरुद्ध मुसलमानों की एक सेना जमा करनी शुरू कर दी। रेजिडेएट करो ने कप्तान ऐबट के नाम श्रपने एक निजो पत्र में करनल कैनोरा की हत्या के सम्बन्ध में सरदार चतरसिंह को निरपराध और कैनोरा को साफ़ अपराधी स्वीकार किया है। फिर भी करी और एव दोन भीतर ही भीतर सरदार बतसिंह गौर सिल राज दोनों के नाश का संकल्प कर चुके थे । कप्तान ऐबट ने हज़ारा प्रान्त के सब मुसलमान सरदारों को जमा किया, उन्हें पुराने मज़हबी झगड़ों की याद सरहद के दिलाई और सिख राज के नष्ट करने में उनसे मुसलमानों को स्ट मदद चाही। प्रान्त भर में उसने इस सिर्षों के विरुद्ध बिपय के खुले परवाने जारी कर दिए 1 कप्तान भड़कान। ऐबट इससे पूर्व दीवान ज्वालासहाय श्रेर सरदार झण्डासिंह आदि पजाब के कई ग्रन्य प्रान्तीय शासकों का । इसी प्रकार सत्यानाश कर चुका था 1 सरदार चतरसिंह ने बार बार लाहौर दरयार और रेजिडेण्ट करी से कप्तान ऐबष्ट की इन हरकतों की शिकायत की। किन्तु कोई ' सुनवाई न हुई। लाचार होकर बूढ़े सरदार चतरसिंह को अपने देश, धर्म औौर खालसा राज की रक्षा के लिए तैयार हो जाना पड़ा। अब हम फिर मुलतान को और पाते हैं। रेजिडेट करी ने रेज़िडेण्ट करी को लाहौर द्वार पर जोर दिया कि दग्यार की वास्तविक इच्छा सेना भेज कर दीवान मूलराज को दण्ड